पाकिस्तान में बन्द ‘शिवालय’ के खुल जाने का अर्थ


खबर है कि पाकिस्तान के इस्लामी शासन की मजहबी असहिष्णुता से
अतिक्रमित सैकडों मन्दिरो में से एक- शताब्दियों पुराना ‘शिवालय तेजा
सिंह मन्दिर’ ७२ वर्षों बाद वहां के पीडित-प्रताडित हिन्दुओं को वापस मिल
गया है और वहां की हुकूमत के हुक्म से ऐसा हुआ है । सयालकोट शहर में
अवस्थित १०वीं शताब्दी का बना हुआ वह शिव-मन्दिर सन १९४७ से ही
विभाजनजनित मजहबी दहशतगर्दी व ‘इस्लामिक स्टेट’ की बेअदबी के कारण बन्द
पडा हुआ था । पाकिस्तान में जगन्नाथ मन्दिर व गोरखनाथ मन्दिर सहित सैकडों
ऐसे देवालय व गुरुद्वारे आज भी बन्द पडे हुए हैं । कारण है- वहां की
बहुसंख्य मुस्लिम आबादी तथा इस्लामी शासन, दोनों का हिन्दू-विरोधी होना
। किन्तु , शायद पहली बार किसी वजीर-ए-आजम को वहां के अल्पसंख्यक
हिन्दू-समुदाय के प्रति ऐसा संवदनशील देखा जा रहा है । बताया जा रहा है
कि वजीर-ए-आजम इमरान खान सत्तासीन होते ही हिन्दुओं के तमाम ऐसे मन्दिरों
को मुक्त कराने की घोषणा किए थे, जो दहशतगर्दी के कारण बन्द पडे हुए हैं
अथवा कट्टारपंथी मुसलमानों या शासनिक महकमों के कब्जे में हैं । अब वे
अपनी उस घोषणा को क्रियान्वित करते दिख रहे हैं ।
मालूम हो कि ‘ऑल पाकिस्तान हिन्दू राइट्स मूवमेन्ट’ नामक संस्था
की एक सर्वे-रिपोर्ट के अनुसार भारत-विभाजन के वक़्त पाकिस्तान में ४२८
मठ-मंदिर थे । उनमें से ४०८ मन्दिरों पर सन १९९० के बाद दहशतगर्द
मुसलमानों तथा मुस्लिम संगठनों और शासनिक महकमों ने कब्जा कर लिया था,
जिसके परिणामस्वरुप वे होटल, रेस्टुरेंट या सरकारी दफ्तरों अथवा मदरशों
में तब्दील हो गए थे । इमरान खान की सरकार फिलहाल सिंध प्रान्त में ११
मंदिरों, पंजाब में ०४ गुरुद्वारों तथा, बलूचिस्तान में ०३ और खैबर
पख्तूनख्वा में ०२ ऐसे मंदिरों को मुक्त करने की दिशा में सक्रिय है । इस
हेतु पाक-सरकार ने बजट भी स्वीकृत कर रखा है । इस महीने की ०२ जुलाई को
पाकिस्तान के स्यालकोट में अवस्थित जिस १००० साल पुराने मन्दिर को
अतिक्रमण-मुक्त कर उसकी चाबी हिन्दू-समुदाय के हाथों सौंप दी गयी है , वह
सन १९४७ से ही बन्द पडा था, जिसे १९९२ में भी जिहादी आतंकियों ने
क्षतिग्रस्त कर दिया था । मन्दिर का भवन बहुमंजिला था, जिसके हर माले पर
विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थपित थीं । उस मन्दिर को
अतिक्रमण-मुक्त कर श्रद्धालुओं को सौंपने से पहले पाक-सरकार ने उसके
क्षतिग्रस्त स्तम्भों की मरम्मत कराते हुए एक भव्य प्रवेश द्वार का
निर्माण भी कराया । इतना ही नहीं , पाकिस्तान में मन्दिरों व गुरुद्वारों
का प्रबन्धन देखने के बावत पाक-सरकार द्वारा कायम किये गए ‘एवेन्यू
ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराने के बाद इसे
हिन्दू-समुदाय को सौंपने के अवसर पर एक धार्मिक समारोह का आयोजन भी
कराया, जिसमें उक्त बोर्ड के तमाम मुस्लिम अधिकारियों सहित पाकिस्तान के
कई मुस्लिम नेता भी शामिल हुए । हर-हर महादेव की गूंज के साथ
पूजा-पाठ-हवन आदि सनातन विधियों से युक्त उस भव्य समारोह की अध्यक्षता भी
बोर्ड के सचिव सैय्यद फराज अब्बास ने की । उस मौके पर हिन्दू-समुदाय के
बीच मिठाइयां बांटी गई और पण्डित काशी राम को पुजारी नियुक्त कर दिया
गया , जो अब उस मन्दिर में नियमित पूजा-पाठ किया करेंगे । पाकिस्तान के
उक्त बोर्ड ने यह भी निश्चय किया है कि भारत से उन सभी देवी-देवताओं की
मूर्तियां ला कर उस मन्दिर में स्थापित की जाएंगी जो जहां क्षतिग्रस्त हो
चुकी हैं । पाक-सरकार इस मन्दिर में भारत के हिन्दू-श्रद्धालुओं को भी
कटासराज मन्दिर की तर्ज पर दर्शनार्थ आने-जाने की अनुमति देने के बावत
विचार कर रही है ।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में कई ऐसे मन्दिर हैं, जो समस्त
हिन्दू-समाज की आस्था व श्रद्धा के केन्द्र हैं ; किन्तु वहां के इस्लामी
शासन की पूर्ववर्ती सरकारों की शह पर जिस गति व नीति से हिन्दुओं को
पीडित-प्रताडित व धर्मान्तरित किया जाता रहा , उसी के साथ उनके मन्दिरों
को भी पद-दलित किया जाता रहा है । कई मन्दिरों पर आम-अवाम ने कब्जा कर
रखा है , तो कई मंदिरों को मस्जीद में तब्दील कर दिया गया है ; जबकि अनेक
ऐसे मन्दिर हैं, जिनमें सरकारी दफ्तर और मदरशे आदि चल रहे हैं ।
पाक-प्रधानमंत्री, अर्थात वजीर-ए-आजम इमरान खान ऐसे इन तमाम मन्दिरों को
मुक्त कराने और उन्हें हिन्दुओं समुदाय के हाथों सौंप देने की वकालत ही
नहीं, बल्कि मशक्कत भी करते दिख रहे हैं तो पाकिस्तानी सियासत के लिए यह
आम नहीं, खास बात है । इमरान खान को इस वजह से विपक्षी सियासतबाजों और
मजहबी कठमुल्लाओं के क्षोभ व कोप का सामना भी करना पड रहा है । बावजूद
इसके, वे मजहबी आलोचनाओं की परवाह किये बिना ‘राजधर्म’ का निर्वाह करने
को प्राथमिकता दे रहे हैं, तो यह कोई निरर्थक सियासी कसरत नहीं है, बल्कि
एक सार्थक पहल है, जिसके कई कई गम्भीर अर्थ हैं । इससे पाकिस्र्तान में
हिन्दू-विरोधी इस्लामी आतंक व नफरत कम होगा तथा वहां की घटती-मिटती हुई
हिन्दू-आबादी में इस्लामी शासन के प्रति खोया हुआ विश्वास लौटेगा और
सरकार की ओर से जो संरक्षण-प्रोत्साहन हिन्दुओं के धार्मिक हितों व
मानवाधिकारों का हनन करने वालों को मिलते रहता था, सो अब कदाचित वहां के
पीडित-प्रताडित हिन्दुओं को मिले, ऐसी एक सियासी तहजीब का आगाज होगा ।
इससे भारत-पाक सम्बन्धों को भी एक नई दिशा व दृष्टि तो मिलेगी ही,
पाकिस्तान को अपना उस्ताद मानने वाले उन भारतीय मुसलमानों को भी एक सबक
मिलेगा जो आय दिनों भारत में मन्दिरों व मूर्तियों पर हमला करते रहते हैं
अथवा करने की फिराक में रहते हैं ।
हालाकि पाकिस्तानी हुक्मरानों का वहां के हिन्दुओं के प्रति यह
बदला हुआ रवैया उनके हृदय-परिवर्तन के कारण कतई नहीं है , बल्कि इसके
पीछे उनकी अपनी मजबुरियां भी हैं, जिसकी वजह से वजीर—ए-आजम इमरान खान की
इस पहल का उग्र व हिंसक विरोध नहीं हो पा रहा है । मजबुरी यह है कि
पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी बिगड चुकी है कि वह दिवालिया होने के कगार
पर पहुंच चुका है । वहीं दूसरी ओर पाक-हिन्दुओं पर वहां के आम अवाम व
शासन-तंत्र के द्वारा लगातार जुल्म ढाये जाते रहने की वजह से
अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में भी उसकी हालत एक अपराधी सी बनती जा रही है ।
ऐसे में ईरान व सऊदी अरब जैसे पुराने व घोर इस्लामी देशों में नये-नये
मन्दिर बनवाये जाने और भारत के प्रधानमंत्री से उनका अनावरण कराये जाने
के बाद पाक-हुक्मरानों को थोडी शर्मिन्दगी का सामना तो करना ही पडता होगा
। तब जाहिर है विश्व-समुदाय में अपनी छवि को थोडा सुधारने , कर्ज या भीख
भी मिल सके, इस योग्य बनाने तथा भारत के धार्मिक पर्यटकों को अपनी ओर
आकर्षित कर अर्थव्यवस्था सुधारने और पाक नवजवानों को मजहबी कट्टरता व
दहशतगर्दी के धंधे से उबार उन्हें आर्थिक रचनात्मक कार्यों की ओर मोडने
की गरजवश बहुत सोच-समझ कर तमाम मन्दिरों को मुक्त करने की योजना को इमरानसरकार अमली जामा पहनाने में लगी हुई है । अगर ऐसा नहीं होता तो पाकिस्तानमें अब तक बवाल मच चुका होता, वहां से संचालित इस्लामी जिहादी संगठनबचे-खुचे एक दो और मन्दिरों को ध्वस्त कर चुके होते अथवा इमरान की इसदरियादिली का बदला भारत की किसी मन्दिर पर विस्फोट कर के ले चुके होते ।किन्तु वे जिहादी संगठन भी फिलहाल अपने आका की मजबुरी समझ रहे है ।
बावजूद इसके पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम की यह पहल प्रशंसनीय है । वे वहां
हिन्दुओं को मुस्लिमों के समान अधिकार व अवसर की समानता भी सुनिश्चित
करें , ऐसी अपेक्षा अब की जा सकती है ।
• जुलाई’ २०१९