झूठ के लिए कुख्यात ‘कुल’ के पुरोहितों को आईना


खबर है कि ‘चौकीदार चोर है’ का राग आलापते रहने वाले राहुल गांधी
ने अदालत में प्रस्तुत हो कर अपनी इस झुठी बात के लिए माफी मांग ली और
खेद जताया कि वे उत्तेजनावश ऐसा कहते रहे हैं, तब कांग्रेस के एक नेता ने
अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिता को ले कर आपत्तिजनक भाषण से माहौल
गरम कर दिया है । मालूम हो कि राहुल गांधी इससे पहले भी कई मामलों में
झूठ बोलते रहे हैं तथा पकड में आ जाने के बाद हर उन मौकों पर माफी मांग
लेते रहे हैं और विभिन्न कंग्रेसी नेताओं द्वारा मोदीजी के निजी
घर-परिवार के प्रति अनुचित बयानबाजी भी किये जाते रहे हैं । देश की
केन्द्रीय सत्ता से बेदखल हो जाने के बाद से इनकी पूरी राजनीति ही झूठ के
सहारे जनोत्तेजना उभार कर अपना उल्लू सीधा करने की रणनीति पर आधारित हो
गई है । अब तक ये लोग न केवल अनेक बार अनेकानेक झूठ फैला चुके हैं, बल्कि
आपत्तिजनक बयानबाजी भी कर चुके हैं और पकड में आने पर माफी मांग चुके
हैं । देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के सर्वोच्च अध्यक्ष और उसके
नेताओं के ऐसे व्यवहार कतई शोभनीय नहीं है । राहुल के हालिया माफीनामे के
बाद कांग्रेस के एक नेता व पूर्व मंत्री विलाशराव मुत्तेवार द्वारा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिता को ले कर की गई भाषणबाजी असल में
पार्टी-अध्यक्ष की चापलूसी में व्यक्त किये गए शब्द हैं- “प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी एक नंबर का झूठा पीएम है, पूरी दुनिया में ऐसा पीएम कभी
नहीं देखा । ‘...नरेंद्र को पीएम बनने से पहले कौन जानता था ? आज भी
नरेंद्र मोदी के बाप का नाम कोई नहीं जानता है, ....लेकिन राहुल गांधी के
बाप का नाम तो क्या, पीढ़ियों का नाम भी सभी को पता है ...और ...आदि, आदि

विलाशराव मुत्तेवार को मालूम होना चाहिए कि पूरी दुनिया में यह
सुक्ति स्थापित है कि “पुत्र वही लायक होता है, जिसकी उपलब्धियों से उसके
पिता को जाना जाता है” । पिता की विरासत के सहारे पहचाना जाने वाला पुत्र
तेजहीन माना जाता है और विरासत को डुबो देने वाला पुत्र तो सर्वथा नालायक
ही समझा जाता है । पूर्व मंत्री महोदय को यह सत्य समझ में आए अथवा नहीं
आए , किन्तु इस देश का अदना सा आदमी भी यह समझ रहा है कि नरेन्द्र मोदी
और राहुल गांधी में कौन उसका आदर्श हो सकता है । जहां तक राहुल गांधी की
पीढियों अर्थात उनके कुल-खानदान की बात है, तो वह झूठ बोलने और खेद जताने
के लिए ही कुख्यात रहा है और कदाचित उसी आनुवांशिकीय गुणसूत्र की वजह से
ही जवाहरलाल नेहरु के इस ‘कुलभूषण’ के मुख से बडे-बडे झूठ निर्बाध
निकलते रहते हैं । तो अब आइए नेहरु-कुल के इस भूषण अर्थात दत्तात्रेय कौल
ब्राह्मण की चापलुसी में कुलपुरोहित बने कंग्रेसी नेताओं तथा पूर्व
मंत्रियों-मुत्तेवारों को वह आइना दिखाते हैं, जिसमें झूठ व खेद इतनी
संख्या में भरे पडे हैं कि उनका ‘कुल योग’ होना अभी बाकी है । इस
लोकतांत्रिक राजवंश की एक-एक पीढी के एक-एक झूठ का उल्लेख करना ही
पर्याप्त है । सबसे पहले राहुल की मां का झूठ , जिसे डॉ सुब्रह्मण्यम
स्वामी ने उजागर किया तो उनकी ओर से सफाई दिया गया कि वे कैम्ब्रिज की
स्नातक नहीं हैं । टाइपिंग की गलती के कारण उनकी शिक्षा वाले कॉलम में
‘स्नातक’ लिखा गया था । पिता राजीव गांधी की झूठ का खुलासा उन्हीं के
खासमखास कांग्रेसी नेता मोहनलाल फोतेदार की लिखी पुस्तक ‘दी चिनार लिव्स
; ए पॉलिटिकल मेमॉयर’ में हुआ है । पुस्तक में उन्होंने लिखा है- “वर्ष-
१९८७ में एक दोपहर अमिताभ बच्चन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मिलने आए ।
बातचीत के दौरान राजीव ने फोतेदार को वहां बुला लिया और फिर अमिताभ से
कहा- फोतेदार चाहते हैं कि आप लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दें ।
अमिताभ ने तुरंत जवाब दिया, कि अगर फोतेदारजी इस्तीफा चाहते हैं तो मैं
तैयार हूं, कागज दीजिए । राजीव ने राइटिंग पैड दिया और कहा- हैंड राइटिंग
में स्पीकर को लिखिए कि आप लोक सभा से इस्तीफा दे रहे हैं । अमिताभ ने
ऐसा ही किया और उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया । फोतेदार ने अपनी
पुस्तक में लिखा है कि अमिताभ के इस्तीफे के बारे में राजीव से उनकी कभी
कोई बात ही नहीं हुई थी ”। इन्दिरा गांधी की झूठ सारी दुनिया जानती है ।
अपने आपात शासन के दौरान विपक्षियों की कौन कहे, जगजीवन राम सरीखे
बडे-बडे कांग्रेसियों को भी झूठे-झूठे मनगढन्त आरोपों से आरोपित करा कर
किस कदर प्रताडित किया गया था, सो विलाशराव मुत्तेवार को अवश्य मालूम
होगा । जवाहरलाल नेहरु की झूठ से तो सरदार पटेल भी परेशान रहते थे ।
पूर्व खुफिया अधिकारी आर एन पी सिंह ने अपनी पुस्तक- ‘नेहरु , ए ट्रबल्ड
लिगेसी’ नामक अपनी पुस्तक में आधिकारिक दस्तावेजों के हवले से लिखा है-
“१० सितम्बर १९४९ को जवाहर लाल नेहरु ने राजेन्द्र प्रसाद को लिखे पत्र
में उनसे कहा था कि ‘उन्होंने (नेहरु ने) और सरदार पटेल ने निर्णय लिया
है कि राजगोपालाचारी को भारत का प्रथम राष्ट्रपति बनाना सबसे बेहतर होगा’
। नेहरु की भाषा से राजेन्द्र प्रसाद को संदेह हुआ तो उन्होंने उस पत्र
की एक प्रति सरदार पटेल को भेजवायी , जिसे पढ कर पटेल हैरान हो गए ;
क्योंकि किसे राष्ट्रपति बनाना बेहतर होगा, इस सम्बन्ध में नेहरु से उनकी
कभी कोई बात ही नहीं थी” । इस आशय के स्पष्टिकरण से युक्त पटेल का पत्र
प्राप्त हो जाने पर राजेन्द्र प्रसाद ने नेहरु की झूठ को रेखांकित करते
हुए उन दोनों पत्रों के साथ उन्हें स्वयं का एक पत्र भेज कर उनसे कहा कि
“कांग्रेस में मेरी जो स्थिति है उसे देखते हुए मैं आपसे बेहतर व्यवहार
की अपेक्षा करता हूं”, तब अपनी झूठ पकड लिए जाने पर नेहरु वैसे ही झेंप
गए जैसे ‘चैकीदार चोर’ मामले पर अदालत में राहुल को झेंपना पडा । स्थिति
बिगड्ते देख नेहरु ने पटेल से कहा था- ‘मुझसे गलती हो गई, अब आप इसे
सम्भालिए’ । फिर तो पटेल जी ने बीच-बचाव कर नेहरु की साख बचा ली ।
किन्तु विलाशराव और उनकी तरह के अन्य कांग्रेसी नेतागण नरेन्द्र मोदी के
प्रति अपने अशोभनीय भाषणों से राहुल गांधी की साख नहीं बचा सकते ,
क्योंकि जब वे ऐसा करते हैं, तब असल में वे अपने पार्टी-अध्यक्ष की
चापलुसी करने और स्वयं उनसे उपकृत होने के उपक्रम में लगे होते हैं ।
• मनोज ज्वाला ; अप्रेल’२०१९