१५ अगस्त पर लेख
- स्वतंत्रता दिवस पर लेख लिखो । - स्कूल के मस्टर साहब छात्रों को ‘क्लास-वर्क’ दे कर अपने मोबाइल फोन पर फेसबुक में खो गए । लगभग आधे घण्टे बाद छात्रों ने अपने-अपने लेख दिखाने शुरु किये । किसी की उतर-पुस्तिका पर ‘गूड’ किसी पर ‘वेरी गूड’ की टिप्पणी कर उन्हें निपटाते जा रहे मास्टर साहब एक छात्र के लेख में उलझ गए । ऊपर से नीचे , नीचे से ऊपर कई बार उसे पढ कर वे अचानक ही आपे से बाहर हो गए और उस लडके के सिर के बाल पकड कर नवाते हुए उसे गाल पर एक जोरदार तमाचा रसीद कर चिख पडे-
- ….क्या लिखा है ?.......... १५ अगस्त को तिरंगा फहराते नहीं देखा है तुमने कभी क्या ?
- जी , देखा हूं सर ! लडके ने डरते हुए कहा- वो तो हर वर्ष फहराया जाता है ।
- तो फिर ? स्वतंत्रता दिवस पर लेख में यह सब क्या लिख दिया तूं ? मास्टर साहब ने अपना चश्मा उतारते हुए पूछा- कडक स्वर में पूछा- ….कहां से लिखा है यह सब ?
- मैंने खुद से लिखा है सर जी ।- लडके ने अपनी निर्दोषिता प्रमाणित करने के अंदाज में कहा- ….. किसी की नकल नहीं की मैंने …….किसी किताब से भी देख कर नहीं लिखा हूं साहब.....।
- लेकिन , तुमने यह लिखा क्या है ? मास्टर साहब चश्मा चढाते हुए लेख पढने लगे-.........१५ अगस्त को ….देश के दो टुकडे कर दिए गए तथा प्रत्येक टुकडे की सत्ता ‘काले अंग्रेजों’ के हाथों सौंप ………पर्दे के पीछे चले गये ‘गोरे अंग्रेज’ और ……..यहां उनके एजेण्टों ने … रेडियो से प्रचार कर दिया कि …...भारत स्वतंत्र हो गया । …… बकवास कहीं का ! उन्होंने अपनी छडी घूमा दी- सडाप…! ……….सडाप ! यही लिखाया था मैंने ?
- आप जो भी लिखाये हों, किन्तु मैंने सच लिखा है सर ……लडके ने ढीठाईपूर्वक कहा - …..सिर्फ सत्ता हस्तान्तरण ही हुआ था उस दिन । १५ अगस्त सत्ता-हस्तान्तरण की बरसी मात्र है साहब ।
- यू शट ..अप ! जुबान मत लडाओ ! मास्टर साहब का पारा सातवें आसमान पर चढ गया । ….प्रिन्स…., ...जान्सन ,..... डब्ल्यू , …..मिन्टु और स्वीटी तुम भी देखो……देखो इसने क्या बकवास लिखा है ? वे कक्षा के अन्य छात्रों को पुकारते हुए उपहासपूर्वक फिर पढने लगे उसका लेख….गोरे अंग्रेजों की रीति-नीति, उनके बनाये सारे कानून , उनकी भाषा-संस्कृति, शासन और शिक्षा की उनकी अंग्रेजी पद्धति सब के सब ज्यो-के-त्यों आज भी कायम हैं हमारे देश में । ब्रिटिश कामनवेल्थ के अधीन आज भी है हमारा देश और ब्रिटेन की महारानी हमारी भी महारानी हैं , हम उनकी प्रजा है …….बकवास….!! सडाप !
- मैनें सच लिखा है सर !- लडका अपनी बातों पर अडा रहा- ब्रिटेन की महारानी को आज भी भारत आने के लिए भारतीय वीजा की जरुरत नहीं पडती है । उन्हें ब्रिटेन की महारानी नहीं , बल्कि सिर्फ और सिर्फ महारानी अर्थात भारत की भी महारानी कहा जाता है । भारत के राष्ट्रपति को जिन २१ तोपों से सलामी दी जातीं हैं, उन २१ तोपें से ही उन महारानी को भी सलामी दी जाती हैं ।
- ….शट..अप…!.... सडाप ! तुमने देखा है , सलामी देते हुए , सडाप !......सडाप !
- पूरी दुनिया देख चुकी है सर – लडका दर्द से चिखते हुए बोल उठा-…… कामन्वेल्थ गेम्स का उद्घाटन करने महारानी भारत आयी थीं तो उन्हें २१ तोपों से सलामी दी गई थीं ……. उस उद्घाटन समारोह के निमण्त्रण-पत्र पर भारत के राष्ट्रपति का नाम नीचे और ब्रिटिश महारानी का नाम ऊपर छपा हुआ था सर !
- यह सब कोरा बकवास लिखे हो तुम ! …..सडाप…!......तुम्हें १५ अगस्त पर लेख लिखने को कहा गया था ….. ब्रिटेन की राजशाही पर नहीं …..समझे ? ……क्या लिखे हो यह सब …..उस दिन बिहार-बंगाल-पंजाब- लाहौर-सिंध में खून की नदियां बह रही थीं और देश भर में गिद्धों के झुण्ड मंडरा रहे थे ।……सडाप ! सडाप !!
- मैं सच लिखा हूं सर ! लाखों लोग बेवजह मार डाले गये थे, इतनी-इतनी लाशें बिछ गई थीं कि उनके दाह कर्म की बावत कफन भी नहीं मिल पा रहे थे….. उन्हें नोंच खाने वाले गिद्धों की संख्या भी कम पड गई थी ….साहब …. विदेशों से ……झुण्ड के झुण्ड …..गिद्ध आये थे उस महा भोज में ।
- यह सब बकवास है…..सडाप ! सडाप !
- बकवास नहीं सर ; सच है , सच । …..उस १५ अगस्त को हमारे देश के एक करोड से भी अधिक लोग बेघर हो गये थे , लाखों माताओं-बहनों के साथ बलात्कार हुआ था , बलात्कार ……. हमारे …… …...... .हमारी……के साथ भी…….
- यू शट-अप ! मास्टर साहब लडके की उतर-पुस्तिका दूर फेंक उसे पीटने लगे…..तडाक ! ….सडाप….!!
- मैं सच लिखा हूं साहब !- लडका क्षीणकाय होते हुए भी अडा रहा और लेख में लिखी अपनी बातों को जहां – तहां से दुहराने लगा- …… उस दिन हमारे देश में चारो तरफ मातम ही मातम था , शोक ही शोक था । …..सिर्फ अंग्रेजों के बीच मन रहा था जश्न !- सात समन्दर पार लन्दन में और हमारे देश की राजधानी दिल्ली में । …….हमारे देश के काले अंग्रेज देश वासियों को ठगने के लिए गीत गा रहे थे……..ले ली आजादी बिना खडग बिना ढाल, साबरमति के संत तूने कर दिया कमाल ! ……किन्तु ……साबरमति का संत उस दिन बंगाल के नोआखली गांव में उस तथाकथित आजादी के …….खूनी झंझावातों से भूखों जूझ रहा था साहब ! ….और , लोगों को इत्तिला देता फिर रहा था कि यह आजादी नहीं है , सिर्फ सत्ता-हस्तान्तरण है , सत्ता-हस्तान्तरण !
- बन्द करो यह सब बकवास !.....तडाक ! तडाक !!- मास्टर साहब का चश्मा गिर पडा, छडी टूट गई , तो वे हाथ के पंजे से पारने लगे- तडाक…..तडाक…..!!
- कितना भी मारिए सर …… मैंने सच लिखा है…… हमारे देश पर अंग्रेजों का ही शासन अब भी कायम है साहब , काले अंग्रेजों का शासन……… !
- तडाक!.....तडाक !........
- कितना भी मारिए साहब ……..- लडका घिघियाने लगा-……हमारे देश में हर जगह काबीज हैं अंग्रेज …… पुलिस-प्रशासन , अदालत-संसद ; सब अंग्रेजों का, अंग्रेजों के लिए , अंग्रेजों द्वारा कायम किये गये हैं साहब……… ! …… हिन्द-स्वराज का ….कहीं कोई अता-पता भी नहीं है हमारे देश में साहब…!
- तडाक !....तडाक !....तडाक !
- आप चाहे जितना भी मारिए सर , लेकिन सच यही है कि …..अखबार से लेकर इश्तहार तक और बाजार से लेकर सिनेमा घर तक सब जगह काबीज हैं भिन्न-भिन्न शक्लों में अंग्रेज ……
- मारिए , मारिए , जितना भी मारिए , किन्तु सच यही है कि…..लडका गिर पडा धडाम ! किन्तु बोलता ही रहा-…… १५ अगस्त को हमारा देश आजाद नहीं हुआ था साहब , …….बल्कि भारत पर अंग्रेजों के शासन की दूसरी पाली का आगाज हुआ था, दूसरी पाली का आगाज ! ठीक वैसे ही , जैसे……..
टन-टन की लौह-ध्वनि के साथ विद्यार्थी बेहोश हो कर लुढक पडा । अफरा-तफरी मच गई । मास्टर साहब किंकर्त्तव्यविमुढ से इधर-धर देखने लगे । तत्क्षण कक्षा के अन्य विद्यार्थियों ने उस लडके की उतर-पुस्तिका उठा कर मास्टर साहब को सवालों के घेरे में घेर लिया- हमारा देश अगर आजाद है , तो सरकारी दफ्तरों और अदालतों में क्यों आज भी अंग्रेजी का ही राज है ? अंग्रेजों के बनाए सारे कानून आज भी क्यों आबाद हैं ?
इस सवाल का जवाब मैं अभी नहीं दे सकता – मास्टर साहब ने घडी देखते-दिखाते हुए कहा-….क्योंकि घण्टी बज गई टन-टन-टन, पाली बदल गई ।
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